मुजफ्फरपुर, 21 मार्च 2025 — बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर एक मंदिर को बचाने के लिए हिंदू समुदाय ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मामला उस समय तूल पकड़ा जब रेलवे प्रशासन ने स्टेशन परिसर में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर को हटाने का निर्णय लिया, जिससे स्थानीय हिंदू संगठनों और भक्तों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया।
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, रेलवे विभाग द्वारा स्टेशन के विस्तार और आधुनिकीकरण के नाम पर मंदिर को हटाने की योजना बनाई गई थी, जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध जताया और मंदिर को बचाने के लिए संघर्ष छेड़ दिया। हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक असंवेदनशीलता और हिंदू आस्थाओं के प्रति उपेक्षा का परिणाम करार दिया।
रेलवे वाले इतने फट्टू है कि रात के अंधेरे में 100 साल पुराना पंचमुखी हनुमान मंदिर तोड दिया घटना मुजफ्फरपुर की है पर मजाल है कि आजतक किसी स्टेशन या पटरियों के बीच में आनेवाले किसी मस्जिद और मज़ार को तोड़ा हो हिंदुओं की चुप्पी का फ़ायदा सब उठाते है pic.twitter.com/AkBOlo6Nel
— Riniti Chatterjee Pandey (@IRinitiPandey) March 21, 2025
धार्मिक भावनाओं का आहत होना
स्थानीय निवासी और भक्त इस कदम को अपनी धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानते हैं और उनका कहना है कि यह मंदिर लंबे समय से उनके लिए श्रद्धा का केंद्र रहा है। मंदिर की स्थिति को लेकर तनाव तब बढ़ा जब रेलवे प्रशासन ने मंदिर के आसपास की जमीन को अपने अधीन लेने के प्रयास शुरू किए।
“यह मंदिर हमारे लिए सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि हमारी आस्था का प्रतीक है। हम इसे हर हाल में बचाएंगे,” मुजफ्फरपुर के एक स्थानीय हिंदू नेता ने कहा। विरोध प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल हो गए हैं और उन्होंने रेलवे विभाग से मंदिर को हटाने की योजना को तुरंत रोकने की मांग की है।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग ने स्थिति को शांत करने के प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। रेलवे विभाग ने कहा है कि स्टेशन के विकास कार्य के दौरान सभी धार्मिक स्थल का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन मंदिर को हटाने की बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।
मंदिर बचाने का संघर्ष
हिंदू संगठनों ने मंदिर को बचाने के लिए एकजुट होकर आंदोलन शुरू किया है। उनका कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और यदि रेलवे प्रशासन ने अपना फैसला नहीं बदला, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोग “मंदिर बचाओ, आस्था बचाओ” जैसे नारे लगा रहे हैं और स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आगे का रास्ता
यह मामला केवल एक मंदिर के बचाव तक सीमित नहीं है; यह हिंदू आस्था और धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के प्रति एक व्यापक सवाल उठाता है। अब देखना यह है कि स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग इस संघर्ष को कैसे सुलझाते हैं और क्या वे हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई समाधान निकाल पाते हैं।
स्रोत: satish mehro | स्थानीय संवाददाता