Permission to offer namaz on the road in Delhi |दिल्ली के ख्याला में सड़क पर नमाज़ को छूट, हनुमान चालीसा पाठ पर रोक!

Permission to offer namaz on the road in Delhi |दिल्ली के ख्याला में सड़क पर नमाज़ को छूट, हनुमान चालीसा पाठ पर रोक!

दिल्ली, 21 मार्च 2025 – दिल्ली के ख्याला क्षेत्र में एक विवादित घटनाक्रम सामने आया है, जहां सड़क पर नमाज़ अदा करने की अनुमति दी गई, जबकि हिंदू भक्तों को हनुमान चालीसा पाठ करने से रोक दिया गया। इस दौरान, हनुमान चालीसा का पाठ शुरू होने से पहले ही कई भक्तों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

सूत्रों के अनुसार, ख्याला इलाके में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर नमाज़ अदा कर रहे थे, जब उनकी गतिविधियों को लेकर किसी ने आपत्ति नहीं जताई और प्रशासन ने इसे स्वीकार किया। वहीं, जब हिंदू संगठन द्वारा हनुमान चालीसा का आयोजन किया जा रहा था, पुलिस ने इसे रोकने का प्रयास किया और कई भक्तों को हिरासत में ले लिया। यह घटना स्थानीय निवासियों के बीच भारी आक्रोश का कारण बन गई।

हिंदू संगठनों का गुस्सा और दिल्ली पुलिस पर सवाल
हनुमान चालीसा पाठ की अनुमति न मिलने पर हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया और दिल्ली पुलिस पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया। संगठनों ने आरोप लगाया कि प्रशासन एकतरफा तरीके से काम कर रहा है और धार्मिक समानता का उल्लंघन कर रहा है।

“हमारा अधिकार है कि हम अपनी धार्मिक गतिविधियों को सार्वजनिक रूप से मनाएं, लेकिन पुलिस ने हमें शांतिपूर्ण तरीके से हनुमान चालीसा का पाठ करने से रोका। हम सवाल उठाते हैं कि क्या मुस्लिम समुदाय को धार्मिक गतिविधियों की अनुमति है, जबकि हिंदू समुदाय को इससे वंचित किया जाता है?” – एक स्थानीय हिंदू नेता ने बताया।

दिल्ली पुलिस का बयान
दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि उनकी कार्रवाई शांति बनाए रखने के लिए थी। पुलिस प्रवक्ता ने बताया, “हमारे उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखना है। किसी भी प्रकार की धार्मिक असहमति और हिंसा को बढ़ावा देने से बचने के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।” पुलिस ने यह भी बताया कि हनुमान चालीसा के पाठ में शामिल कुछ लोगों को “कानूनी सीमा के भीतर कार्रवाई” की गई थी।

स्थानीय लोगों का मिश्रित रुख
ख्याला क्षेत्र के निवासी इस घटना को लेकर विभाजित नजर आ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि प्रशासन ने सही कदम उठाया है, जबकि अन्य का कहना है कि यह दोहरे मापदंडों की नीति को दर्शाता है, जहां एक समुदाय को विशेष अधिकार दिए जाते हैं, जबकि दूसरे को उनके धार्मिक कर्तव्यों से वंचित किया जाता है।

आगे की स्थिति
यह घटनाक्रम दिल्ली में धार्मिक असंतुलन और प्रशासनिक नीति को लेकर नई बहसों को जन्म दे सकता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं, खासकर जब यह सवाल उठता है कि क्या धार्मिक स्वतंत्रता का सही तरीके से पालन हो रहा है या नहीं।

स्रोत: https://x.com/SudarshanNewsTV/status/1902995603895853416 | दिल्ली संवाददाता

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